Ad

खुशियां कम और अरमान बहुत, जिसे भी देखो परेशान बहुत है।

खुशियां कम और अरमान बहुत है, जिसे भी देखो परेशान बहुत है।
करीब से देखा तो निकला रेत का घर दूर से इसकी शान बहुत है।
कहते हैं सच का कोई मुकाबला नहीं, मगर आज झूठ की पहचान बहुत है।
मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी, यू तो कहने को इंसान बहुत है।


Post a Comment

0 Comments