Ad

To kya hua jo usko mera dhayan nahi | तो क्या हुआ जो उसको मेरा धयान नहीं

तो क्या हुआ जो उसको मेरा ध्यान नहीं है। ये उसका फैसला है, मेरा इम्तिहान नहीं है।

रहता तो मैं उसी में हूँ उसको भी है खबर ये बात और है वो मेरा मकान नहीं है

ये बात तो तय है कि अब मैं जुड़ न पाऊँगा पर और टूटना भी अब आसान नहीं है।

वो भी तो कोई मेरा तलबगार नहीं अब

अब मेरा दिल भी उसका मेज़बान नहीं है।

तो क्या हुआ जो उसकी खबर रख रहा हूँ मैं

वो भी तो मुझसे एकदम अंजान नहीं है

बारिश तो हो रही है मैं ही भींगता नहीं

क्या मेरे सर पे कोई आसमान नहीं है

कैसे मैं उसे फेंक दूँ दिल से निकाल कर मेरे सफ़र का कोई वो सामान नहीं है

- सारांश

Post a Comment

0 Comments